मित्रों,
पिछले कुछ दिनों से आप लोगों के द्वारा मुक्तक की पेशकश के लगातार आग्रह को अब टाल पाना मेरे लिये संभव नहीं हो पा रहा है. अगले कुछ माह के लिये मैं मुक्तक महोत्सव मना रहा हूँ. इस उत्सव के दौरान आपकी सेवा में हर रोज अनेकों स्व-रचित मुक्तक पेश करुँगा. पहले पढ़ने के लिये और फिर अगर संभव हुआ तो इसी क्रम में अपनी आवाज में गाकर भी. आप इन्हें इत्मिनान से पढ़े, इस लिये एक एक करके पोस्ट करुँगा ताकि आप इन मुक्तकों का संपूर्ण आनन्द ले सकें. आशा है टिप्पणियों के माध्यम से आप इस महोत्सव को सफल बनायेंगे.
उड़न तश्तरी और अन्य पाठकों की प्रतिक्रिया पर मुक्तक महोत्सव-८ से मुक्तक का फोंट साईज तो नही बढ़ा पाये मगर बाकि घटा दिया गया है, आशा है अब ठीक लग रहा होगा अगर कोई और सुझाव हो, तो बेझिझक बतायें. आप सबके सहयोग से ही यह महोत्सव सफल हो पायेगा. बहुत आभार.
2 comments:
मुझे तो कोई अंतर नहीं समझ आया. पहले जैसा ही दिख रहा है.आपने कुछ बदला भी है या वो ही फिर से पेश कर दिया. :)
बाकी सब तो ठीक है, लेकिन ये बताया जाए, कि सारे मुक्तक एक ही दिन काहे पब्लिश के जा रहे हो। अमां यार! एक दिन मे एक करो, दो करो, इत्ते करोगे तो लोग बवाल कर देंगे। कंही ऐसा ही ना हो कि लोग मुक्तक का नाम सुनते ही भाग खड़ें हो।
हम इत्ती मुश्किल से लोगों को पकड़ पकड़ तक नारद पर ले आएं, और भगाएं, ऐसा जुल्म ना करो माईबाप।
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