Friday, June 1, 2007

भाईजी- लोहा लोहे को काटता है

भाई साहब रोना रो रहे थे कि जैसे तैसे जो वज़न घटाया था, दो दिन में ही वापिस आ गया बैरंग खत की तरह. आता भी क्यों नहीं जब परहेज से दूर भाग गये. हमने लाख समझाया भाइ साहब, रोजाना की खुराक को मत बदलिये. हमने सारे डाक्टरों की सलाह को नींबू की तरह निचोड़ कर, अदरक का छोंक लगा कर तैय्यार किया था और उन्हें भेजा था पर भाई साहब ने जार्ज बुश की अकल की तरह उसे टाप सीक्रेट करार देकर सेफ़ डिपाजिट में बन्द कर दिया. अरे साहब अगर आपने इस पर अमल किया होता तो क्या मजाल एक ओंस वज़न भी आपके पास वापिस आ फ़टकता. अब क्योंकि आप सेफ़ मे रख कर शायद भूल गये हैं इसलिये दोबारा संतुलित वज़न का रहस्य आपके सामने फिर प्रकाशित कर रहा हूँ. कल से ही इस पर अमल करे और देखें कि वज़न की समस्या कैसे छूमन्तर होती है नाश्ता:- १ हनी ग्लेज़्ड डोनट १. मिक्स्ड बैरी मफ़िन ४ स्ट्राबेरी पैनकेक और मेपल सीरप १ लार्ज आर्डर हैश ब्राऊन १ टैक्सान आमलट
१ बड़ा गिलास आरेंज जूस १ फ़ुल मिल्क डबल शाट लाते लंच: ( चाहें तो एक दो आयटम कम कर सकते हैं )१. चीज किसादिया
२. फ़्राईड पनीर इन व्हाईट मैरीनारा सास
३.स्टफ़्फ़्ड बटर नान
४. कैश्यू मटर
५. मैंगो लस्सी
६. शाही मलाई कोफ़्ता
७. गुलाब जामुन या रस मलाई

अपरान्ह का नाश्ता

१. दो समोसे
२. १५० ग्राम गाजर का हलवा
३. दही बड़े और गुझिया
४. एक बड़ा ग्लास दही की लस्सी, या मिल्क शेक
५. प्योर मिल्क टी या काफ़ी- इच्छानुसार
६. संभव हो तो घंटेवाले हलवाई का सोहन हलवा भी

डिनर.

१. पेटाइजर के लिये पकौड़ा या आलू टिक्की और एक प्लेट चाट
२. बटर मलाई कोफ़्ता
३. कढ़ाई पनीर
४. फ़्रायड पोटेटो इन हनी एन्ड जिन्जर सास
५. चीज परांठा
६ बटर्ड अप्रीकाट एंड प्लम इन स्वीट क्रीम


अब भाई साहब आप ऐसा कीजिये कि फौरन से इस पर अमल करना शुरू कर दीजिये. साथ ही साथ रोजाना भाई अभिनव शुक्ला की इस कथा का पाठ करते रहिये.










3 comments:

अभिनव said...

हम क्या कहें राकेश भाईसाहब, इधर हमारा भी हृदय परिवर्तन हुआ था तथा हमको भी दुबलाने का भूत चढ़ा था पर दो दिन में ही उतर गया है। आसान नहीं है। बाबा रामदेव का योग भी करना पड़ता है, बिना हिले डुले वह भी संभव नहीं लगता। बाकी तो,
सत्य वचन यहि जानिए कहते कवि सुजान,
ठूँस ठूँस कर खाइए लिखे हुए पकवान।

Udan Tashtari said...

हे प्रभु, चरण बढ़ायें.

लिस्ट पढ़ते पढ़ते ही काफी हल्का लगने लग गया है. खाऊँगा तो कहीं बहुत महीन न हो जाऊँ, यही चिन्ता सता रही है. :) सारे कपड़े नये खरीदने पड़ेंगे.

Anonymous said...

मुझे तो यह लगता है कि सच्चे मन से दुबले होने की चिंता मात्र अपने आप में पर्याप्त है।