एक समाचार पढ़ा ( अंश नीचे लिखे हैं ) और उस समाचार ने सीधे साधे शब्दों को विद्रोह करने पर उतारू कर दिया. मचलते हुए शब्द पंक्ति बना कर आपके समक्ष आ गये हैं--
"April 11 Kavi Sammelan. This is clearly mentioned that only those people will get opportunity to present their poetic work who are registered and paid the fees. "
अभी नैट पर खबर पढ़ी यह, नया चलन लो शुरू हुआ है
कवियों को कविता पढ़ने की अब से फ़ीस चुकानी होगी
दोहों के दो, तीन हायकु, चौपाई के चार लगेंगे
आठ नज़म के, दस मुक्तक के और गज़ल के पन्द्रह डालर
और गीत की फ़ीस बीस से लेश मात्र भी कम न होगी
दुगनी कीमत देनी होगी अगर सुनाना चाहें गाकर
और किसी का केवल एक सुना देना नादानी होगी
कवियों को कविता पढ़ने की अब से फ़ीस चुकानी होगी
सौ डालर अर्नेस्ट मनी के बिना न छू पायेंगे माईक
बिना छंद की रचनाओं का जुर्माना है अस्सी प्रतिशत
और अगर यह बिना कथ्य के, बिना तथ्य के थोथी निकली
तो जितनी अर्नेस्ट जमा है वो सारी हो लेगी गारत
काली सूची में होने की जहमत और उठानी होगी
कविता पढ़ने की कवियों को कीमत बहुत चुकानी होगी
ताली अगर आप चाहें तो दें अतिरिक्त बहत्तर डालर
वाह वाह की बहुत खूब की कीमत मात्र चुनी है नव्वे
वन्स मोर की और मुकर्रर की आवाज़ें सुनना चाहें
तो कीमत के साथ लाईये काजू की कतली के डब्बे
नया चलन है इसकी चर्चा आगे बहुत बढ़ानी होगी
कवियों को कविता पढ़ने की कीमत यहाँ चुकानी होगी
4 comments:
बहुत बढ़िया!
बड़ी मारक रचना रच गये आप तो..मगर फीस कहाँ जमा करानी है?? हा हा!!! दोहे वाली सस्ती पड़ेगी.
बहुत मजा आया इसे पढ़कर।
अच्छा है जो हम कविता नही करते है। :)
yiiiiiiks
ab to kavitaa likhane kaa sapanaa bhee choor choor ho gayaa
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