बहुत-बहुत बधाई!गीतकार जी आपकी गजल बहुत सुंदर हैं बहुत अच्छे ढंग से आपने प्रेयसी की खूबसूरती का बखान किया है,..सुनीता(शानू)
राकेश जीआपके ख्याल का कायल हूँ मैँ.. क्या बात कही है"आपके पग बँधी थी तो पायल रही, मेरे होठों पे आई गज़ल बन गई"
शब्द की यह लड़ी जो रखी सामने, हो विदित आपको यह कलासाधिकेआपके पग बँधी थी तो पायल रही, मेरे होठों पे आई गज़ल बन गईवाह राकेश जी .... बूँद सागर से मिली तो सागर बन गयी .... सुन्दर अति सुन्दर ...
बहुत गजब का ख्याल...क्या बात है. वाह!!
बनती है गज़ल अहसासों से और यहाँ तो जज्बात भी हैं अरमान भी और्…आपका कयामत बिखेड़ता अंदाज भी…बहुत ख़ुब राकेश भाई…।
राकेश खंडेलवालजी,बहुत अच्छा लिखते है आप।बधाई।
शब्द की यह लड़ी जो रखी सामने, हो विदित आपको यह कलासाधिकेआपके पग बँधी थी तो पायल रही, मेरे होठों पे आई गज़ल बन गई बहुत खूब राकेश ....आनंद आ गया पढ़कर ....बधाई
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7 comments:
बहुत-बहुत बधाई!
गीतकार जी आपकी गजल बहुत सुंदर हैं बहुत अच्छे ढंग से आपने प्रेयसी की खूबसूरती का बखान किया है,..
सुनीता(शानू)
राकेश जी
आपके ख्याल का कायल हूँ मैँ.. क्या बात कही है
"आपके पग बँधी थी तो पायल रही, मेरे होठों पे आई गज़ल बन गई"
शब्द की यह लड़ी जो रखी सामने,
हो विदित आपको यह कलासाधिके
आपके पग बँधी थी तो पायल रही,
मेरे होठों पे आई गज़ल बन गई
वाह राकेश जी .... बूँद सागर से मिली तो सागर बन गयी .... सुन्दर अति सुन्दर ...
बहुत गजब का ख्याल...क्या बात है. वाह!!
बनती है गज़ल अहसासों से और यहाँ तो जज्बात भी हैं अरमान भी और्…आपका कयामत बिखेड़ता अंदाज भी…बहुत ख़ुब राकेश भाई…।
राकेश खंडेलवालजी,बहुत अच्छा लिखते है आप।बधाई।
शब्द की यह लड़ी जो रखी सामने, हो विदित आपको यह कलासाधिके
आपके पग बँधी थी तो पायल रही, मेरे होठों पे आई गज़ल बन गई
बहुत खूब राकेश ....आनंद आ गया पढ़कर ....बधाई
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