Sunday, May 13, 2007

मातृ दिवस विशेष: मुक्तक

कोष के शब्द सारे विफ़ल हो गये भावनाओं को अभिव्यक्तियाँ दे सकें
सांस तुम से मिली, शब्द हर कंठ का, बस तुम्हारी कॄपा से मिला है हमें
ज़िन्दगी की प्रणेता, दिशादायिनी, कल्पना, साधना, अर्चना सब तुम्हीं
कर सकेंगे तुम्हारी स्तुति हम कभी, इतनी क्षमता न अब तक मिली है हमें

5 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन मुक्तक. बधाई.

rachana said...

उत्तम!

Sajeev said...

कितना सुन्दर मुक्तक है आपका कविराज... शब्द मेरे भी सीमित रह गए कि कुछ कह सकूं

परमजीत सिहँ बाली said...

अति उत्तम मुक्तक है बधाई।

Geetkaar said...

आप सभी को धन्यवाद कि मां की प्रशस्ति-स्वर में आपके स्वर मिले.