Tuesday, May 15, 2007

मुक्तक महोत्सव-३८ से ४२ तक

मित्रों,
इस सप्ताह के ५ मुक्तक आपकी सेवा में पेश हैं. आशा है टिप्पणियों के माध्यम से आप इस महोत्सव को सफल बनायेंगे.

मुक्तक महोत्सव



आप की प्रीत ने होके चंदन मुझे इस तरह से छुआ मैं महकने लगा
एक सँवरे हुए स्वप्न का गुलमोहर, फिर ओपलाशों सरीखा दहकने लगा
गंध में डूब मधुमास की इक छुअन मेरे पहलू में आ गुनगुनाने लगी
करके बासंती अंबर के विस्तार को मन पखेरू मेरा अब चहकने लगा



तुम्हारा नाम क्यों कर लूँ, मेरी पहचान हो तुम तो
कलम मेरी तुम्ही तो हो, मेरी कविता तुम्ही से है
लिखा जो आज तक मैने , सभी तो जानते हैं ये
मेरे शब्दों में जो भी है, वो संरचना तुम्ही से है



मेरी हर अर्चना, आराधना विश्वास तुम ही हो
घनाच्छादित, घिरा जो प्यास पर, आकाश तुम ही हो
मेरी हर चेतना हर कल्पना हर शब्द तुमसे है
मेरे गीतों के प्राणों में बसी हर सांस तुम ही हो



आपके पन्थ की प्रीत पायें कभी, आस लेकर कदम लड़खड़ाते रहे
आपके रूप का गीत बन जायेंगे, सोचकर शब्द होठों पे आते रहे
आपके कुन्तलों में सजेंगे कभी, एक गजरे की महकों में डूबे हुए
फूल आशाओं के इसलिये रात दिन अपने आँगन में कलियाँ खिलाते रहे



मैं खड़ा हूँ युगों से प्रतीक्षा लिये, एक दिन आप इस ओर आ जायेंगे
मेरे भुजपाश की वादियों के सपन एक दिन मूर्तियों में बदल जायेंगे
कामनाओं के गलहार को चूमकर पैंजनी तोड़िया और कँगना सभी
आपकी प्रीत का पाके सान्निध्य पल, अपने अस्तित्व का अर्थ पा जायेंगे



* ** * * ** *


4 comments:

Udan Tashtari said...

वाह, आखिर इंतजार खत्म हुआ. बेहतरीन मुक्तक हैं. इसे साप्ताहिक, जैसा विचारा गया था, जारी रखा जाये. :)

Anonymous said...

Sameer bhai ne aape bare me bataya,,aapka pura blog dhyan se padha aur bahur maza aaya. Aap bhi bahut khub likhate hain, ab hamesha padhenge. humari daad kabulen...hindi nahi likh pata jyada to muaf karen.

-khalid.

परमजीत सिहँ बाली said...

"मैं खड़ा हूँ युगों से प्रतीक्षा लिये, एक दिन आप इस ओर आ जायेंगे
मेरे भुजपाश की वादियों के सपन एक दिन मूर्तियों में बदल जायेंगे
कामनाओं के गलहार को चूमकर पैंजनी तोड़िया और कँगना सभी
आपकी प्रीत का पाके सान्निध्य पल, अपने अस्तित्व का अर्थ पा जायेंगे"

बहुत सुन्दर भावों का संयोजन किया है।बधाई।

Mohinder56 said...

सुन्दर... प्रशन्सा के लिय शब्द नहीं ढूंढ पा रहा