शुभ हो नये वर्ष में हर दिन, रातें बीतें हुई रुपहली रहे चाँदनी रात, न छाये चन्दा पर कोई भी बदली सपने ढलें एक प्रतिमा में, चाहों को उत्कर्ष मिल सके सावन छेड़े नित मृदंग औ फ़ागुन पंथ बजाये ढपली
नव-वर्ष का पहला छन्द, गुरु चरणों को समर्पित ! ================================== तुम हिम आच्छादित शिखर सम उच्च, प्रखर, प्रवीण, उज्जवलतम हैं तुमको अर्पित अति सहर्ष नव वर्ष के शत चरण-स्पर्श !
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नव-वर्ष का पहला छन्द, गुरु चरणों को समर्पित !
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तुम हिम आच्छादित शिखर सम
उच्च, प्रखर, प्रवीण, उज्जवलतम
हैं तुमको अर्पित अति सहर्ष
नव वर्ष के शत चरण-स्पर्श !
नए वर्ष की शुभकामनायें राकेश भाई !
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