आप जो चल दिये हैं इधर की डगर
ओस में डूब कर फूल की पांखुरी भोर की इक किरन को लगी चूमने
गंध की तितलिया साथ लेकर हवा लग गई क्यारियो की डगर घूमने
बात इतनी हुई आपके नाम को छू के पत्ता कोई था इधर आ गया
आप हैं चल दिये इस तरफ़ को लगा, इसलिये बाग सारा लगा झूमने
7 comments:
waah fiza mehek rahi hai,sundar nazm
kuch aur panktiyaan hotee to khusbuu daer tak rehtee
par sunder panktiyaan haen
बहुत खूब!बहुत ही सुंदर!
बहुत बढिया।
भोर की ओस की तरह कोमल भाव में अभिब्यक्त रचना .. बहोत ही सुंदर भाव.. आपको ढेरो बधाई साहब...
:)
Is it lake Ontario Sunset?
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