Wednesday, August 22, 2007

जंतर-मंतर: अपनी किस्मत बदलवा लें

हुआ यूँ कि कान्फ़्रेंस से वापिस आकर काम पर पहुँचते ही पहला प्रश्न हमारी ओर उछलता हुआ आया- कितना जीते कितना हारे ?

क्योंकि आफ़िस में सभी को पता था कि हमारी कान्फ़्रेंस लास वेगास में थी तो यह प्रश्न स्वाभिविक ही था. बड़े सकुचाते सकुचाते हमने उत्तर दिया कि हमें तो वहाँ कैसीनो जाने का समय ही नहीं मिला तो यकायक किसी को हमारी बात पर विश्वास नहीं हुआ. अब कैसे समझाते कि सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक कान्फ़्रेंस के सेशन्स और उसके बाद साढ़े छह बजे से दस बजे तक की डिनर मीटिंग्स ने दिन के खाते में इतना समय छोड़ा ही नहीं कि क्रेप, रालेट , ब्लैकजैक या स्लाट्स पर अपनी किस्मत आजमाते.




घर वापिस आकर टीवी आन किया और फिर अपनी अगली कान्फ़्रेंस की रूपरेखा बनाने लगे कि सामने ज़ी टीवी पर आते हुए विज्ञापन ने हमें झकझोर दिया- हे मूर्ख, अपनी किस्मत बदल. फ़ौरन बाबा महाराज को फोने कर और देख गारंटी के साथ सात दिनों में कैसे तकदीर पलटती है हमारे ज्ञान चक्षु खुल गये और निश्चय कर लिया कि लास वेगास जाने से पहले अपनी किस्मत बदलवा लें . तो साहब






हम पे विज्ञापनों का हुआ यूँ असर
भाग्य की रेख को हम बदलने चले

पीर साहब को सत्रह किये फोन फिर
वेवसाइट पे बाबा की लाग इन किया
भेजी ईमेल पंडितजी महाराज को
पिर जलाया दिया, ज्योतिषी का दिया
स्वामीजी के दिये जंत्र बाँधे हुए
मंत्र पढ़ते लगे हर घड़ी रात दिन
और जैसा कहा एक सौ आठ ने
हमने रातें बिताईं सितारों को गिन

अपनी डायट से हमने बचाया बटर
सींचते हम रहे दीप जितने जले

एक ब्रजधाम के, एक थे गोकुली
एक बरसाने वाले पुजारी मिले
उनके वचनामॄतों को पिया घोलकर
जोड़ कर अपनी आशाओं के सिलसिले
ब्राह्मणों को दिये भोज, की परिक्रमा
नित्य श्वलिंग पर जल चढ़ाते रहे
हाथ में एक माला पकड़ राम का
नाम हर सांस में गुनगुनाते रहे

सूर्य वन्दन किया नित्य ही भोर को
करते स्तुतियां रहे, रोज संध्या ढले

कुंभकर्णी मगर नींद सोया रहा
भाग्य का लेख जो था हमारा लिखा
बीते दिन मास सप्ताह पल पल सभी
किन्तु बदलाव हमको न कोई दिखा
कोष संचित गंवा कर, विदित हो गया
ये सभी स्वप्न विक्रय की दूकान हैं
उतना फ़ंसता रहा चंगुलों में वही
जो हुआ जितना ज्यादा परेशान है

और फिर सत्य ये भी पता चल गया
है अँधेरा सदा दीपकों के तले.

2 comments:

Udan Tashtari said...

सच में, आगे से बदलवा कर जाया करें ..हम साथियों का १० % बंधा है, उसी में भला हो जायेगा, :)

Anonymous said...

चलो, हमें भी पता लग गया इस नये रास्ते का. हम भी फोने करेंगे श्री श्री महाराज जी को