कल शाम को अचानक श्री राकेशजी मिल गये. हम उमेश अग्निहोत्री ( जो छह महीने के बाद भारत से लौटे हैं ) से मिलने गये थे, वहां वे भी पहुंचे हुए थे और बड़ी बदहवासी की हालत में थे. पूछने पर बताया कि आज चिट्ठा चर्चा करने की उनकी बारी है. अधिकतर वे चर्चा अपने लंच समय में प्रारंभ करते हैं और शाम को घर पर पूरी करते हैं. अब शाम को घर तो वे ग्यारह बजे से पहले पहुंचने वाले थे नहीं. हमने कहा कि आप यह जिम्मा किसी और पर क्यों नहीं डालते ( जैसा अक्सर होता है ) तो उन्होंने बताया कि समीर लाल जी को फोने किया तो वे अपने पादुका पुराण के पाठ में व्यस्त थे, फ़ुरसतियाजू को फ़ुरसत नहीं है.
हम भी सुन कर उदास हो गये कि हाय अब चिट्ठा चर्चा मंगलवार के दिन फिर गायब रहेगी. सहानुभूति के शब्दों में हमने कारण पूछा तो बोले कि कम्प्यूटर क्रैश हो गया. अब उनसे सीधे साधे शब्दों की आशा अक्सर होती नहीं है इसलिये हम कुछ काव्यात्मक मूड में उत्तर सुनने के बजाय सीधा साधा लट्ठमार वाक्य सुन कर हतप्रभ रह गये.
हमने कहा- मान्यवर कुछ कलात्मक तरीके से कारण बतायें तो उन्होंने सीधे हमारे ऊपर हुकुम दनदना दिया. आखिर तुम भी तो गीतकार का लेबल लगाये घूम रहे हो. तुम्ही न लिख डालो. तो साहेबान आपकी नजर है पूरा वॄत्तांत:-
एक तरफ़ तो कलापक्ष था
एक तरफ़ तकनीकी ज़िद्दी
दोनों अपनी ज़िद पर अटके
इसीलिये तो क्लैश हो गया
कला पक्ष कविता का भारी
ताव नहीं तकनीक ला सकी
कम्प्यूटर घबराया तब ही
हार्ड ड्राइव संग क्रैश हो गया
उड़नतश्तरी, फ़ुरसतियाजी
सबने था हमको समझाया
जीतू भाई ने नारद के
हाथों संदेशा भिजवाया
पंडित श्री श्रीश ने बोला
रवि रतलामी ने जुगाड़ दी
लेकिन उन सबकी तकनीकें
कविता ने फ़ौरन पछाड़ दीं
यू एस बी में जो बैकाअप था
वो भी सारा ट्रैश हो गया
फ़ाइल सब एक्सेल एक्सेस की
पता नहीं है कहां खो गईं
माऊस को कितना चटकाया
पर डायरेक्ट्री सभी सो गई
न मैकेफ़ी, न ही नार्टन
कोई भी कुछ काम न आया
नीली पड़ गई स्क्रीनों ने
राम भरोसे रह, बस गाया
केवल एक दिखाता कविता
जब लगता रिफ़्रैश हो गया
अब दूजा कम्प्यूटर लायें
इसके सिवा न कोई चारा
कितनी कविता झेल सकेगा
सोच रहा मैं, वह बेचारा
गज़ल, गीत, कविता में चर्चा
और टिप्पणी भी छंदों में
फिर से पत्थर नहलायेंगे
वे गुलाब की रसगंधों में
करें , संभालें बात आप ही
मैं तो बस इम्प्रैस हो गया.
बस इतना ही
6 comments:
वाह ! बढ़िया लिखा है. मजा आ गया
वाकई!! मैं तो बस इंप्रेस हो गया....आपकी क्रेश बयानी पर. :)
बहुत खूब ...राकेश जी
अपने ह्रदय की व्यथा बयान कर दी है आपने
बहुत बढिया :-)
मज़ा आ गया पढ़कर!!
बहुत खूब राकेश जी बहुत खूब!
कंप्यूटर आपका क्रैश हुआ ये तो बहुत बैड हो गया,
चर्चा आप न कर पाएंगे ये जानकर दिल सैड हो गया।
बैकअप भी न बचा ये जानकर दिमाग मैड हो गया।
लेकिन कविता आपकी जो पढ़ी दिल झट से ग्लैड हो गया।
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