यादों की पुस्तक के खुल कर लगे फ़ड़फ़ड़ाने वे पन्ने
जिन पर अंकित, मेरे प्रस्तावों को तुमने दी मंजूरी
पाणि ग्रहण के पावन पल की वह मॄदु बेला याद आ गई
नयनों की फुलवारी में जब रंग बिरंगे फूल खिले थे
मंत्रोच्चार जगाता था जब अनचीन्ही हर एक भावना
भावों का अतिरेक उमड़ता और मौन से अधर सिले थे
दीपशिखा के नयनों से उठ रहे धुए से बातें करती
लगती थी मंडप में उड़ती हुई गंध पावन कर्पूरी
जो पुरूरवा के अधरों ने लिखी उर्वशी के कपोल पर
भुजपाशों में बांध शची को जोकि पुरन्दर ने दोहराई
वह गाथा अँगड़ाई लेकर फिर मन में जीवन्त हो ग
पुलकित हुईं भावनाऒं में डूब डूब सुधियाँ बौराईं
हैं सुधियों में जगमग जगमग दीवाली के दिये बने वे
निमिष भीगकर हुई चाँदनी जिनमें सहसा ही सिन्दूरी
एक बिन्दु पर जहां धरा से मि्ला गगन बाँहें फ़ैलाकर
जहाँ शून्य के स्वर से मिल कर मन की वाणी छंद हो गई
जब अतॄप्ति की तॄषा पा गई अकस्मात ही सुधा कलश को
उस पल उड़ी धूल पतझड़ की भी जैसे रसगंध हो गई
खोल रहे मन वातायन पट, सुरभित वही हवा के झोंके
जिनमें तुमने घोल रखी है अपने तन मन की कस्तूरी
8 comments:
खोल रहे मन वातायन पट, सुरभित वही हवा के झोंके
जिनमें तुमने घोल रखी है अपने तन मन की कस्तूरी
-अद्भुत!! आनन्द आ गया!
apne prem ko kya roop diya maan gaye sir...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
babut sundar rachna
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
bahut hi sundar!!!!!!
हैं सुधियों में जगमग जगमग दीवाली के दिये बने वे
निमिष भीगकर हुई चाँदनी जिनमें सहसा ही सिन्दूरी
बेहतरीन रचना
दीपशिखा के नयनों से उठ रहे धुए से बातें करती
लगती थी मंडप में उड़ती हुई गंध पावन कर्पूरी
क्या सुंदर भावाभिव्यक्ति !अद्भुत् सरस शैली !
वाह गीतकारजी!
मुझे प्रसन्नता है कि मेरी ही तरह छंद को समर्पित क़लमकार हैं आप भी! अन्यथा श्रम श्रद्धा और साधना से सृजन कम ही हो रहा है आजकल ।
…और आप ही की तरह हूं मैं भी इसलिए ऐसी सुंदर गीत रचना पढ़ी तो लिखे बिना नहीं रहा गया ।
आपकी अन्य रचनाएं भी पढ़ रह हूं
कृपया ,आप भी शस्वरं पर पधारें,
http://shabdswarrang.blogspot.com/
और अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देकर धन्य करें!
…ब्लॉग मित्र मंडली में भी शामिल हों !!
सृजनगाथा पर भी मेरी एक रचना 'इंतज़ार है…'
लगी है ।
कृपया वहां भी आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे । लिंक है -
http://www.srijangatha.com/Geet1-15Apr_2k10
आपका राजेन्द्र स्वर्णकार
Emotions are perfectly expressed !
Awesome !
राकेश जी थोड़ा देर से पहुँच पाया पर नुकसान मेरा ही था इतनी बढ़िया गीत ४ दिन तक मुझसे दूर रही आज पढ़ पाया मन प्रसन्न हो गया..लाज़वाब रचना के लिए बधाई...
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