Monday, August 18, 2008

मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा

हालांकि हमें संभल जाना चाहिये था . चेतावनी तो समीर भाई ने पहले ही आंशिक तौर पर दे दी थी, परन्तु हम अपनी धुन में भलमन्साहत का दामन पकड़े सोचते रह गये कि समीर जी ने बस अपनीए ही बात की है और अपनी टिप्पणियां टिकाने में आने वाली दिक्कतों का खिलासा किया है.

अब क्योंकि हमारे धीरज का घड़ा भी भर ही गया तो हमने भी यह निश्चय किया है कि



मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा




मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा

अब तक तो चिट्ठाकारी की परिपाटी है खूब निभाई
हर मनभावन रचना पर जा, मैने इक टिप्पणी टिकाई
लेकिन इसका अर्थ भयंकर हो सकता है ये न जाना
भर जायेगी सन्देशों से आगत बक्से की अंगनाई
अब तक तो कर लिया सहन है अब आगे से नहीं करूंगा

मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
कभी कभी तो टिप्पणियों के दरवाज़े पर था रखवाला
शब्द पुष्टि का अलीगढ़ी इक लगा हुआ था मोटा तला
जैसे तैसे उससे आगे नजर बचाकर पांव बढ़ाया
मुश्किल आई जब टिप्पणियां निगल शान से वो मुस्काया
अब निश्चित है उस द्वारे से मैं तो कभी नहीं गुजरूंगा

मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
और बाद में टिप्पणियों के बदले जो सन्देशे आये
राम दुहाई इनसे आकर अब मुझको बस खुदा बचाये
एक टिप्पणी के बदले में छह दर्ज़न सुझाव पाये हैं
आयें पढ़ें देखिये क्या क्या चिट्ठे पर हम ले आये हैं
मेरा निर्णय, मैं सुझाव वाला अब कुछ भी नहीं पढ़ूंगा

मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
कुछ् सन्देशे मित्रमंडली में उनकी शामिल हो जाऊँ
वोजो लिखते हैं उसको ही पढ़ूँ साथ में मिलकर गाऊँ
मेरा अपना नहीं नियंत्रण रहे समय पर बिल्कुल अपने
चिट्ठों की उनकी दुनिया में अपना पूरा समय बिताऊँ
उनका लेखन वॄथा बात यह अब कहने से नहीं डरूँगा

मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा

14 comments:

Udan Tashtari said...

आप रहें हैं मेरे अग्रज
जैसा कहा किया वो भरसक
अबसे मैं भी नहीं डरुँगा
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा

लेकिन जिन पर करना हो जायज
क्यूँ कहलायें वहाँ नालायक
उन पर जरा न आह भरुँगा
मैं तो टिप्पणी जरुर करुँगा

और आपसे एक निवेदन
सविनय करुँ मैं इक आवेदन
मैं कर पाऊँ या भुलूँगा
आपसे से टिप्पणी
जरुर ले लूँगा.


:)

Anil Pusadkar said...

main bhi tippani zaroor karunga,bahut badhiya

राजीव रंजन प्रसाद said...

आदरणीय राकेश जी,

मेरी रचनाओं पर आपकी टिप्पणी आशीर्वाद की तरह होती है। आपके इस निर्णय से मुझ निरपराध को भी सजा हो गयी...अपना आशीष और स्नेह साथ ही टिप्प्णियों के माध्यम से मार्गदर्शन बनाये रखें।


***राजीव रंजन प्रसाद

बाल भवन जबलपुर said...

kathor nirnay
punrvichar karie

Satish Saxena said...

वाह राकेश भाई !
पहली बार आपको इस मूड में देख रहा हूँ ! ब्लॉग मैनर्स के बारे में कैसे समझाया जाए इस पर बहुत कुछ लिखना बाकी है ! टिप्पणियां न करने को घोषणा करके आप थोड़ा शान्ति महसूस करेंगे ! मगर आप अपने छोटे भाई साहेब उड़नतश्तरी को कैसे समझाओगे इनकी उड़नतश्तरी को समभाव द्रष्टि मिली हुई है ! अधिकतर लोग इनके बिगाडे हुए हैं !

रवि रतलामी said...

आह! आपने बड़ी सीख दे दी है. अमल में तो लाना ही होगा - एक अच्छे ब्लॉगर के रूप में?

संजय बेंगाणी said...

टिप्पणी करने वाला ही जाने टिप्पणीकर्ता का दर्द :)

L.Goswami said...

कभी -कभी मैं भी ऐसा ही सोंचती हूँ.पर जहाँ कुछ कहने लायक होता है ,चुप रहना मुस्किल हो जाता है .पुनर्विचार करें

रंजू भाटिया said...

टिप्पणी जरुरी है बहुत ..:) पर आपका यह लिखने का अंदाज़ बहुत भाया

mamta said...

टिप्पणी नही करेंगे तो ब्लॉग सूने लगेंगे ना। :)

फ़िर से विचार करिए।

बालकिशन said...

मैं टिपण्णी जरुर करूँगा.
सुंदर और अर्थपूर्ण रचना.

शोभा said...

यह तो आपका अपना निर्णय है, यदि आप अपने समय को किसी सार्थक कार्य में लगाना चाहते हैं तो शुभस्य शीघ्रम्
और अगर धमकी दे रहे हैं तो जान लीजिए आफ रह नहीं पाएँगे टिप्पणी दिए बिना। सस्नेह

डा. अमर कुमार said...

.
टिप्पणी नहीं.. तो ब्लागिंग नहीं !

यह कौन सा फ़तवा ?


हुँह, टिप्पणियाँ नहीं करूँगा
तो हम कइसे जियूँगा

ज़ालिम कहीं का.....

admin said...

बहुत खूब-बहुत खूब। आपकी कविता पढ कर यही दिल कहता है- मैं टिप्पणियाँ करूंगा। मैं टिप्पणियाँ करूंगा।