Sunday, February 3, 2013

नया आज इतिहास लिखें हम

नया आज इतिहास लिखें हम
 
लिखें कथायें जो अंकित हैं आज हुईं युग की करवट पर
शासन का अधिकार हाथ में लेकर यहाँ शिखंडी बैठे
धूर्त शकुनि के अभिमंत्रित पासों से कर गठजोड़ निरन्तर
हर बाजी पर अपनी जय का कर प्रबन्ध मन में हैं ऐंठे
 
यह भी लिखें कलम कहती है जितना लिखे वही पड़ता कम
नया आज इतिहास लिखें हम
 
लिखें गल्प का नाम पा गये यहाँ सभी वे नाम सुने जो
भगतसिंह,बटुकेश्वर, बिस्मिल सभी अलिफ़-लैला के किस्से
बोस ,शिवा,आज़ाद तांतिया सभी कल्पना की उड़ान थे
दरबारी हर एक अपरिचित होकर रहा सदा ही जिससे
 
लिखें उजाले को दोपहरी में आ निगल लिया करता तम
नया आज इतिहास लिखें हम
 
लिखें देश में चीर हरण की घटना होती थी रोजाना
लिखें नित्य ही दुशासन के अट्टहास से दिशा गूँजती
लिखें यहां पर न्यायपालिका रही कैद होकर मुट्ठी में
लिखें अंधेरे में अन्धों को यहां दूर की रही सूझती
 
लिखें यहां पर पीर देख कर आंख नहीं हो पाती थी नम
नया आज इतिहास लिखें हम
 
 
लिखें यहां पर आदर्शों की नई एक पीढ़ी जन्मी थी
यहां पान की दोकानें पर होती रहीं समस्यायें हल
छिद्रान्वेषण को तत्पर थी रही मानसिकता जन जन की
यहां भगीरथ रखे कैद में अपनी ही ला गंगा का जल
 
हर दिन ऐसा पहले जैसा कोई भी तो हुआ नहीं सम
नया आज इतिहास लिखें हम
 
लिखें यहाँ पर प्रतिपादित थी नित ही नूतन परिव्हाषायें
जिसका जैसा मन उसने था वैसा ही निष्कर्ष निकाला
लिखें प्रतिष्ठा पा लेने की अभिनव आकाँक्षा पलती थीं
लिखें पूज्य वह हुआ किया हि जिसने बड़ा कोई घोटाला
 
आर्त्तनाद को ढक लेती थी लिखें यहाँ पायल की छम छम
नया आज इतिहास लिखें हम. 

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