Monday, January 3, 2011

आ गया फिर नया साल है

फिर समय आ गया कामनायें करूँ



मोड़ पर आ गया फिर नया साल है






कामना है यही, आपके द्वार पर


चाँदनी सर्वदा मुस्कुराती रहे


धूप आँगन में पीढ़े पे बैठी रहे


और हवा मलयजी गुनगुनाती रहे






इन्द्रधनु के रँगोंं में रँगी सांझ हो


भोर केसर की क्यारी सी महकी रहे


पुरवा बाहों का झूला झुलाती रहे


आरजुयें पलाशों सी दहकी रहें






इस नये वर्ष में शिल्प पायें सपन


मंज़िलें चल स्वयं द्वार आती रहें


आपकी कीर्ति के भाल पर सूर्य की


रश्मियाँ हर घड़ी जगमगाती रहें.

2 comments:

शिवा said...

बहुत बढ़िया
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विनोद कुमार पांडेय said...

नये वर्ष के स्वागत में एक बेहतरीन गीत...क्षमा करें मैं बहुत देर से पहुँचा पाया...बढ़िया रचना के लिए बधाई..प्रणाम