हर बरस करते आए यही कामना
शुभ नया वर्ष हो आपके वास्ते
स्वप्न साकार हो सारे देखे हए
और फूलों लदे हों सभी रास्ते
और हर बार ढलते हुए वर्ष ने
सिर्फ़ लौटाई है आस जो झड़ गिरी
शुभ नया वर्ष हो आपके वास्ते
स्वप्न साकार हो सारे देखे हए
और फूलों लदे हों सभी रास्ते
और हर बार ढलते हुए वर्ष ने
सिर्फ़ लौटाई है आस जो झड़ गिरी
हर बरस राग ये ही बजाती रही
ढलते बरसो में बेसुर हुई बांसुरी
ईसलिए इस बरस मैं सजाता नही
कोई भी कामना एक ही के लिए
आज हर कामना इस धरा के लिए
जिसको हम हर घड़ी है उपेक्षित किये
कामना, अपना दायित्व समझे सभी
और निधियों की पूरी सुरक्षा करें
और कोई करे, ना करे तो भी क्या
कामना, आप अब न उपेक्षा करें
कौन सी सभ्यता का मुखौटा लगा
हम स्वयं को भुलावा दिये जा रहे
आज मातम मनाता है वातावरण
और हम एक मल्हार हैं गा रहे
आज नववर्ष में बस यही कामना
अपने दायित्व का मिल वहन सब करें
जो धरोहर में हमको धरा ने दिया
पीढ़ियों के लिए कर सुरक्षित रखें
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