tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post8093682962830879959..comments2023-10-07T17:46:39.270+05:30Comments on गीतकार की कलम: खेद! महा खेद!! मुक्तक महोत्सव रुका!Geetkaarhttp://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-92054545285843914952007-03-26T19:17:00.000+05:302007-03-26T19:17:00.000+05:30नितिन बागला जी की बात से मै भी सहमत हूँ ।यदि आप कि...नितिन बागला जी की बात से मै भी सहमत हूँ ।यदि आप किसी एक विषय पर लिख रहे हैं तो ऎसा करना ही उचित होगा।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-75607994533361558352007-03-26T17:28:00.000+05:302007-03-26T17:28:00.000+05:30मेरे सुझाव है कि आप इसे बन्द ना करें ।जितने भी मुक...मेरे सुझाव है कि आप इसे बन्द ना करें ।<BR/>जितने भी मुक्तक आप एक दिन में अलग -अलग पोस्ट के रूप में प्रकाशित करते हैं, उनकी जगह एक ही पोस्ट में उन्हे लिख दें,और शीर्षक दे दें "मुक्तक संख्या फलां से फलां तक"। इससे पोस्ट भी एक ही बार नारद पर आयेगी, और पढने के इच्छुक आराम से आकर पढ लेंगे ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-41505468291007236472007-03-26T08:05:00.000+05:302007-03-26T08:05:00.000+05:30उदाहरण तो अनुकरणीय है लेकिन महोत्सव चालू रहना चाहि...उदाहरण तो अनुकरणीय है लेकिन महोत्सव चालू रहना चाहिये। नारद के अनुरूप ,एक दिन एक पोस्ट हो। लेकिन प्रकाशन होते रहना चाहिये। हमने अभी तो शुरू किया पढ़ना और अभी बंद! ये अच्छी बात नहीं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-72657192323735405572007-03-26T06:55:00.000+05:302007-03-26T06:55:00.000+05:30गीतकार जीआपने बहुत ही अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किय...गीतकार जी<BR/><BR/>आपने बहुत ही अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. सामूहिक संस्धानों का दुरुपयोग हो यह कतई सही नहीं है और फिर लोग तो उसका दुरुपयोग नहीं वरन उसके साथ बलात्कार कर रहे हैं. आपने जो उदाहरण पेश किया है और इतने पसंदिदा कार्यक्रम को रोक कर जो एक मिसाल दी है वो काबिले तारीफ है. आपके इस कार्य पर मैं श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूँ और आपको साधूवाद देता हूँ. शायद सभी चिट्ठा लेखक अपनी इस नैतिक जिम्मेदारी को समझेंगे और अपना व्यवहार संयमित रखेंगे, यही आशा है. आप की यह आदर्श पोस्ट अपने आप में एक मिसाल है. यह चिट्ठाजगत के इतिहास का हिस्सा बनेगी, ऐसा मेरा विश्वास है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-77921612368748026872007-03-26T06:52:00.000+05:302007-03-26T06:52:00.000+05:30This comment has been removed by the author.Geetkaarhttps://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.com