tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post7583070875419654812..comments2023-10-07T17:46:39.270+05:30Comments on गीतकार की कलम: अब होली की उमंग थी या तरंगGeetkaarhttp://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-19035033087495106402008-03-24T10:17:00.000+05:302008-03-24T10:17:00.000+05:30राकेश जी , सही बात रखी है आपने,समय के साथ सब बदल ...राकेश जी , सही बात रखी है आपने,समय के साथ सब बदल जाता है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-58032029430206278342008-03-24T07:14:00.000+05:302008-03-24T07:14:00.000+05:30वाह राकेश जी क्या वर्णन किया है रूप का...बाद रामली...वाह राकेश जी क्या वर्णन किया है रूप का...<BR/>बाद रामलीला के उखड़े पड़े हुए ढेरे में तम्बू<BR/>ले खराब इंजन को पथ में खड़े हुए टूटे बुलडोजर<BR/>तुम अमोनिया वाली खादों के इक फ़टे हुए बोरे से<BR/>जमा गैस के लिये किया जो गया कुंड में, तुम वो गोबर<BR/><BR/>तुम अनंग के उबटन के अवशेषों की कोई प्रतिमा हो<BR/>:) :) :) ...सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.com