tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post4471185606394323455..comments2023-10-07T17:46:39.270+05:30Comments on गीतकार की कलम: चलो घर परिवार की बातें करेंGeetkaarhttp://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-66559635970320251072007-11-26T18:11:00.000+05:302007-11-26T18:11:00.000+05:30tareephen tum bhi sun lo hamse barmbar ki,tumsa na...tareephen tum bhi sun lo hamse barmbar ki,<BR/>tumsa na dekhaa koi jo baaten karta saar ki,<BR/>jo akbar jinda hota shobhaa hote tum darbaar ki,<BR/>dekho is jamaane mein to aawaajen bas ha-ha-kaar ki.<BR/><BR/>wish you all best,<BR/>krsnaKhandelwalKrishna Kumar khandelwalhttps://www.blogger.com/profile/12401551067046986913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-65146845847351764342007-03-29T13:19:00.000+05:302007-03-29T13:19:00.000+05:30beautiful!!beautiful!!mkthttps://www.blogger.com/profile/12856096126979971515noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-9396365064935310292007-03-29T11:35:00.000+05:302007-03-29T11:35:00.000+05:30धुले पांव के लिये तरसती राजनीति की नावों कीइन पंक्...<I>धुले पांव के लिये तरसती राजनीति की नावों की</I><BR/>इन पंक्तियों के लिए मैं क्या कहूँ, नाव में चढ़ाने से पहले पाँव तो बस राम के ही धुलाए थे। कोई ऐसा है कहाँ जिसके पाँव धुलाए जाएँ परंतु राजनीति में तो धुले पाँव वालों की ही जरूरत है। <BR/>बहुत सुंदर कविता लिखी है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-71479135870606073542007-03-29T11:21:00.000+05:302007-03-29T11:21:00.000+05:30बहुत अच्छी लगी यह घर परिवार की बातें। काश इस तरह ...बहुत अच्छी लगी यह घर परिवार की बातें। काश इस तरह की बातें कुछ समय पहले भी होती तो अच्छा रहता। खैर...<BR/>वाकई दुलार तो बहुत मिला है आप सबका; उम्मीद है आगे भी मिलता रहेगा। <BR/>इस तरह की हल्की फुल्की रचनायें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-61393295143522637792007-03-29T09:40:00.000+05:302007-03-29T09:40:00.000+05:30बढिया..माहोल हल्का कर देने वाली रचनाइतने लम्बे हो ...बढिया..माहोल हल्का कर देने वाली रचना<BR/><BR/>इतने लम्बे हो गये काम के अब दिन<BR/>छोटी पड गयी घडिया प्रीत और प्यार की<BR/>कब करें बाते मिल बैठ कर घर परिवार की ?Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-89154230125299690572007-03-29T06:48:00.000+05:302007-03-29T06:48:00.000+05:30वाह बढ़िया पारिवारिक कविता है। इसी तर्ज पर लिखते रह...वाह बढ़िया पारिवारिक कविता है। इसी तर्ज पर लिखते रहें। हम पढ़ते रहेंगे।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-64491514704577950862007-03-29T01:52:00.000+05:302007-03-29T01:52:00.000+05:30फ़ुरसतियाजी के जो पंद्रह गज लम्बे, पैगामों कीउड़नतश्...फ़ुरसतियाजी के जो पंद्रह गज लम्बे, पैगामों की<BR/>उड़नतश्तरी ने जो जीते, पिछले बरस, इनामों की<BR/>संजय,पंकज, तरकश पर जो खींच ला रहे नामों की<BR/>रवि रतलामी की लिनक्स पर जो गुजरी हैं शामों की<BR/><BR/>नाहरजी के चिट्ठाकारी से नित बढ़े दुलार की<BR/>जीतू भाई चलो आज कुछ बातें हों परिवार की<BR/><BR/><BR/>--वाह, गीतकारजी..बस यही सब तो घर परिवार के मसले हैं जिन पर थोड़ा इत्मिनान से बात होती है. बहुत बढ़िया कल्पना रही.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-8604792141214093142007-03-29T00:42:00.000+05:302007-03-29T00:42:00.000+05:30क्या खूब. सच में घर परिवार में ये ही तो बातें होती...क्या खूब. सच में घर परिवार में ये ही तो बातें होती हैंAnonymousnoreply@blogger.com