tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post3785894640470912093..comments2023-10-07T17:46:39.270+05:30Comments on गीतकार की कलम: बिना शीर्षकGeetkaarhttp://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-28287001865412310862007-06-15T22:07:00.000+05:302007-06-15T22:07:00.000+05:30बिल्कुल!!!एक दम नई शैली में बहुत सुंदर प्रस्तुति…क...बिल्कुल!!!<BR/>एक दम नई शैली में बहुत सुंदर प्रस्तुति…क्या भाव है…उद्गार है…और साथ-साथ दर्शन भी जो आपकी हर रचना में अवश्य रुप में छिपी रहती है…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-17337354351851587482007-06-15T10:40:00.000+05:302007-06-15T10:40:00.000+05:30आभार कि इतनी सुन्दर रचना पढवायी आपनेंजाने कैसी हवा...आभार कि इतनी सुन्दर रचना पढवायी आपनें<BR/><BR/>जाने कैसी हवा चली है, क्या हो गया ज़माने को<BR/>जिसको देखो, वही खड़ा, ले आईना दिखलाने को<BR/><BR/>बहुत गहरी..<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-88113176673714526452007-06-15T04:44:00.000+05:302007-06-15T04:44:00.000+05:30अरे वाह! एक दम बिन्दास लिखा है, मज़ा आया:) पर हुआ क...अरे वाह! एक दम बिन्दास लिखा है, मज़ा आया:) पर हुआ क्या? आज हॄदय अशान्त सा कैसे है? <BR/><BR/>अरिAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-6584090484939311332007-06-15T00:07:00.000+05:302007-06-15T00:07:00.000+05:30ब्लाग के नाम पर फ़ैल रही गंदगी में आपने कमल खिलाया ...ब्लाग के नाम पर फ़ैल रही गंदगी में आपने कमल खिलाया हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-66487075244476763752007-06-14T23:45:00.000+05:302007-06-14T23:45:00.000+05:30बहुत सामयिक एवं आपकी अद्भुत शैली में कही गयी एकदम ...बहुत सामयिक एवं आपकी अद्भुत शैली में कही गयी एकदम खरी बात. नमन है आपको.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com