tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post2886663276270873847..comments2023-10-07T17:46:39.270+05:30Comments on गीतकार की कलम: हूँ अजीम मैं शायर, मैं हूँ महाकविGeetkaarhttp://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-40727392018552316952008-04-25T14:52:00.000+05:302008-04-25T14:52:00.000+05:30hey bhagvaan...ye hamjaise nav kaviyo.n ka blog pa...hey bhagvaan...ye hamjaise nav kaviyo.n ka blog padh kar vyangya likha hai kya manyavar<BR/>मैं कवित्त की एक पंक्ति में ले ओलह<BR/>दूजी में छत्तीस शब्द बिठलाता हूँ<BR/>ye sab to meri hi kavita me ho jata hai... kya kare..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-75456009468212829412008-04-25T14:28:00.000+05:302008-04-25T14:28:00.000+05:30पैने व्यंज्ञ में गीत जो आपकी कलम की सशक्तता है बढ ...पैने व्यंज्ञ में गीत जो आपकी कलम की सशक्तता है बढ कर बस वाह ही निकलती है...<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-43352375552219644512008-04-25T13:58:00.000+05:302008-04-25T13:58:00.000+05:30राकेश जी सुंदर और सही लिखा है .राकेश जी सुंदर और सही लिखा है .anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-18445694577119134462008-04-25T11:09:00.000+05:302008-04-25T11:09:00.000+05:30आपका लिखा लाजवाब कर देता है मेरी एक लेखनी में हैं ...आपका लिखा लाजवाब कर देता है <BR/><BR/>मेरी एक लेखनी में हैं छिपी हुई<BR/>लेखन की हर एक विधा की दस खानें<BR/>..बहुत ही सुंदर और सही लिखा है राकेश जी ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-38448622097107228982008-04-25T09:06:00.000+05:302008-04-25T09:06:00.000+05:30राकेशजी आपकी रचनायें पढ़ता रहा हूँ शिल्प की कसावट,...राकेशजी आपकी रचनायें पढ़ता रहा हूँ शिल्प की कसावट,भाषा,प्रतीक का सौन्दर्य सभी कुछ आपकी रचना में पाया पर कुछ कह न सका. <BR/>आज आपकी रचना में यथार्थ का रंग,व्यंग्य की चोट मुझे रोक न सकी,थोड़ी सी आपकी नज़र उन बेबस,मुफ़लिस लोगों की तरफ भी पड़ जाय जो मर मर कर जी रहे हैं पर हारे नहीं है.आमीन.<BR/>बकौले दुष्यन्तकुमार<BR/>इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है.<BR/>नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-20713307537877356702008-04-25T07:47:00.000+05:302008-04-25T07:47:00.000+05:30राकेश जीकल अपनी वाणी और आज लेखनी से रूबरू होने का ...राकेश जी<BR/>कल अपनी वाणी और आज लेखनी से रूबरू होने का मौका दिया आपने, लगा जैसे अंधे को दो आँखे दे दी हों. आप की लेखनी में दस क्या असंख्य खाने छुपी हुई हैं. बहुत धारदार व्यंग रचना है चोट भी देते हैं और घाव भी नहीं बनता...भाई वाह...क्या अनूठी विधा है...बहुत प्रभावशाली रचना...आप ने जिन महा कवियों और साहित्य के शूर वीरों का जिक्र किया है उनसे बच के रहना पड़ेगा...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-41333710774787576932008-04-25T07:40:00.000+05:302008-04-25T07:40:00.000+05:30कविवर राकेश जी, वाह ! आप कितना अच्छा लिखते हैँ ये ...कविवर राकेश जी, <BR/>वाह ! आप कितना अच्छा लिखते हैँ ये तो हम बहुत पहले से जानते हैँ और आज्, यहाँ भी वही दमक रहा है !<BR/>खूब लिखेँ ..<BR/>स्नेह्,<BR/><BR/> लावन्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com