tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post1980958264462329357..comments2023-10-07T17:46:39.270+05:30Comments on गीतकार की कलम: बासठ वर्षों की आज़ादीGeetkaarhttp://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-27649524922140336842009-08-11T23:12:43.295+05:302009-08-11T23:12:43.295+05:30BAHUT KHOOB BADHAAI !BAHUT KHOOB BADHAAI !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-71375620863953963102009-08-11T10:31:40.574+05:302009-08-11T10:31:40.574+05:30रचना निस्संदेह अच्छी है.
जब भी कोई ऎसी रचना पढ़ती ...रचना निस्संदेह अच्छी है.<br />जब भी कोई ऎसी रचना पढ़ती हूँ, सबसे पहले खुद की ओर देखती हूँ,मेरा क्या योगदान रहा देश के इस हाल में. कुछ उत्तर हाथ नहीं आता है गुरुजी! सादर . . .Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1973270170645472967.post-82639632084044100302009-08-11T07:20:19.234+05:302009-08-11T07:20:19.234+05:30हम स्वतंत्र हैं जितने चाहें, खूब उछालें नभ में नार...हम स्वतंत्र हैं जितने चाहें, खूब उछालें नभ में नारे<br />हम स्काटलेंड का पानी पीकर जल संकट सुलझायें<br />हम स्वतंत्र दोनों हाथों से घर की ओर उलीचें सब कुछ<br />अन्य सभी को सहन शक्ति का धीरज का हम पाठ पढ़ाये<br />बहुत बडिया लिखा है बासठ् वर्शों मे ही हमारे चरित्र का क्या हाल हो गया है हमे देश प्रेम का अर्थ भी शायद भूल गया है ब्हुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति है आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com